कारगिल विजय दिवस ::कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतो को दी श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस ::कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतो को दी श्रद्धांजलि
तहलका1न्यूज़ ब्यूरो
रुड़की । कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारत के जाबाज बलिदानयो के उपलक्ष मे विजय दिवस पर जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है साथ ही शहीद हुए जवानों की याद में 400 प्रतिभागियों ने जादूगर रुड़की रोड से पिरान कलियर तक एक साइकिल रैली का आयोजन किया गया है।जिसमे इस साइकिल रैली आयोजन में बीएसएम इंटर कॉलेज व केएलडिवी इंटर कॉलेज के एनसीसी कैडेट्स एवं संगीन सक्ति ब्रिगेड और रोटरी क्लब रुड़की एवं अपर गैंगेज, रोटीरियन, नागरिक, सेना के जवान, वैज्ञानिक, प्रोफेसर व अन्य स्कूलों के छात्र और विभिन्न पृष्ठभूमि के लगभग 400 प्रतिभागियों ने जवानों की याद में साइकिल रैली निकालकर याद किया गयाहै देश में यह 24 वा कारगिल दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैै देश में यह खास दिन माना जाता है कि उन वीर सपूतों को समर्पित होता है जब पूरा देश चैन की नींद सो रहा होता है तब तमाम मुश्किलों को पार करते हुए भारत के वीर सपूतों ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को अपने देश की आन बान शान को देखते हुए कारगिल से खदेड़ कर दुर्गम चोटियों पर जीत का परचम लहराया था।
भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े इस युद्ध को दो दशक से भी ज्यादा का समय बीत चुका है। देश के उन वीरों की कहानी को जन जन तक पहुंचाने के लिए भारत देश के उन वीरों की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भारत देश में हर साल 26 जुलाई को यह दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाता आ रहा है कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष में अमर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की आन बान शान की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे इन जवानों की कुर्बानियों को सारा देश आज याद करता है देश के इन वीरो से प्रभावित होकर देश का हर युवा अपने देश की खातिर बॉर्डर पर जाकर उसकी रक्षा के लिए हर वक्त तैयार बैठा है जम्मू एंड कश्मीर के कारगिल ने दो दशक पहले हुए इस कारगिल युद्ध के दौरान देश के हमारे जवानों ने बलिदान देकर अपने देश की आन बान शान की रक्षा की थी उसी की याद में भारत देश 26 जुलाई को कारगिल दिवस के रूप में कारगिल दिवस के रुप में मनाता है।
जम्मू एंड कश्मीर के कारगिल में 18 हजार फिट की ऊंची पहाड़ियों परं पर दुश्मन से यह युद्ध करीब 2 महीने तक चला था इस युद्ध में 527 वीर सपूतों ने देश की खातिर शहादत देनी पड़ी थी इस युद्ध में तकरीबन 1300 सो से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे दुश्मन देश पाकिस्तान के लगभग हजारों सैनिकों की मौत हो गई थी भारतीय सेना ने साहस से कारगिल युद्ध में दुश्मन देश के सैनिकों को खदेड़ा था उस उस पर हर देशवासी गर्व महसूस करता है। हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि में जन्मे 52 सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी इनमें से एक नाम ऐसे भी है जिनकी वीरगाथा आज भी प्रदेश की वादियों में हर जुबान पर है कैप्टन विक्रम बत्रा जब 1 जून 1999 को कारगिल युद्ध में अपने कंधो पर राष्ट्रीय श्रीनगर लेह मार्ग के बिल्कुल ठीक उपर महत्वपूर्ण चोटी पर 5140 को दुश्मनों से मुक्त करवाने की जिम्मेदारी ली थी लेफ्टिनेंट नवीन को बचाते हुए जब एक गोली विक्रम बत्रा के सीने में लगी तो भारत मां के इस लाल ने भारत मां की जय कहते हुए अंतिम सांस ली थी इस घटना से आहत होकर सभी सैनिकों ने गोली की परवाह किए बिना दुश्मन पर टूट पड़े थे और चोटी 4875 को फतह किया थाा 15 अगस्त 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से नवाजा गया था
कारगिल विजय दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है
यह दिन भारत पाकिस्तान से युद्ध मैं देश की जीत के तौर पर देखा जाता है हालांकि कारगिल विजय दिवस मनाने का उद्देश्य सैकड़ों शहीद हुए भारतीय सपूतों को श्रद्धांजलि देना होता है।
जब सन् 1999 में भारत-पाक सेनाओं के बीच सीमा विवाद को लेकर जम्मू कश्मीर के कारगिल युद्ध सुरु गया था पाकिस्तान की सेना ने भारतीय क्षेत्र कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था लेकिन भारत के जांबाज सैनिकों ने दुश्मन देश पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर फतेह किया था जिसका भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय को अंजाम तक ले जाकर टाइगर हिल व अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया था इसीलिए 26 जुलाई को भारत देश कारगिल विजय दिवस के रूप मे मनाता चला आ रहा है। जो हर एक भारत वासी गर्व करता है।